सूर्य-रेखा की शाखाएँ - हस्तरेखा शास्त्र
(Surya Rekha Ki Shakha - Hast Rekha Shastra)
(१) यदि सूर्य-क्षेत्र पर पहुँचने पर सूर्य-रेखा से निकलकर एक शाखा शनि-क्षेत्र पर और दूसरी बुघ-क्षेत्र पर जाये तो जातक में योग्यता, बुद्धि की गम्भीरता और चतुरता तीनों गुण हैं और उसे धन और प्रतिष्ठा की प्राप्ति होगी। सूर्य रेखा को भाग्य रेखा (Bhagya Rekha) की सहायक रेखा भी कहा जाता है।
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(२) सूर्य-रेखा से निकलकर जो भी शाखाएँ या हल्की छोटी रेखाएँ ऊपर की ओर (उंगलियों की ओर) जावें तो शुभ लक्षण है, शुभ प्रभाव की वृद्धि होती है।
(३) सूर्य-रेखा से निकलकर हल्की-हल्की या नन्ही छोटी रेखाएँ नीचे की ओर प्रावें तो सूर्य-रेखा को कमजोर करती हैं । ऐसे जातक को विशेष परिश्रम करने पर सफलता मिलती है।
(४) यदि सूर्य-रेखा से कोई शाखा निकलकर बृहस्पति के क्षेत्र पर जावे तो जातक में महत्वाकांक्षा और हुकूमत करने की भावना विशेष होती है और उसे इसमें सफलता भी मिलेगी । यदि इस शाखा-रेखा के अन्त में बृहस्पति-क्षेत्र पर तारे का चिह्न हो तो विशेष शुभ लक्षण है। यदि साथ ही सूर्य-रेखा के अन्त पर भूर्यक्षेत्र पर भी तारे का चिह्न हो तो अवश्य ऐसा जातक महान् राज्य का अधिकारी होगा । किन्तु इन शुभ लक्षणों के साथ-साथ हाथ मुलायम हो, शुक्र का क्षेत्र उच्च हो, उंगलियाँ पतली और नुकीली हों तो केवल गायन विद्या में श्रेष्ठता होगी। यदि चन्द्र-क्षेत्र भी उच्च हो तो संगीत में और भी विशिष्टता प्राप्त होगी।
किन्तु यदि उंगलियाँ प्रागे से फैली हुई हों या चतुष्कोण हों तो जातक बाजा बजाने या अन्य कलाओं में सफल होगा। यदि उंगलियों के तृतीय पर्व लम्बे और पुष्ट हों तो कलाप्रियता न होकर केवल रुपया कमाने पर ध्यान होगा ।
(५) यदि सूर्य-रेखा से कोई रेखा निकलकर शनि-क्षेत्र पर जाये तो जातक में बुद्धि-गाम्भीर्य और मितव्ययता प्रादि गुण होंगे। अगर अँगूठा सख्त हो तो जातक बहुत कंजूस भी होगा। यदि शाखा-रेखा के अन्त में, शनि-क्षेत्र पर तारे का चिह्न हो तो विशेष सफलता प्राप्त होती है किन्तु यदि तारे के चिह्न की बजाय वहाँ कोई छोटी प्राड़ी रेखा, बिन्दु, क्रॉस या अशुभ चिह्न हो तो सफलता की बजाय अशुभता और बदनामी ही प्राप्त होगी। यदि शनि-क्षेत्र पर शाखारेखा के पास एक या दो सहायक-रेखा के रूप में रेखाएँ हों तो सफलता का चिह्न है । किन्तु यदि शाखा-रेखा शनि-क्षेत्र के पहुँचने के पहले ही रुक जावे और शनि-क्षेत्र पर कई खड़ी रेखाएँ हों तो जातक अनेक कार्यों में सफलता प्राप्त करने की चेष्टा करता है इस कारण उसे किसी भी कार्य से विशिष्टता प्राप्त नहीं होती । यदि शाखा-रेखा के अन्त में शनि-क्षेत्र पर शुभ लक्षण हो और सूर्य रेखा के अन्त में सूर्य-क्षेत्र पर तारे का चिह्न हो तो विशेष सफलता का द्योतक है।
(६) यदि सूर्य-रेखा से निकलकर कोई शाखा-रेखा बुध के क्षेत्र पर जावे तो बुध-क्षेत्र-सम्बन्धी प्रभाव या सफलता विशेष होती है । यदि उंगलियों के, खासकर कनिष्ठा उंगली का प्रथम पर्व लम्बा हो तो जातक अच्छा लेखक या वक्ता होगा । यदि कनिष्ठा का द्वितीय पर्व लम्बा हो और बुध-क्षेत्र पर कई खड़ी रेखा हों तो जातक ख्याति-प्राप्त डाक्टर होगा । यदि तृतीय पर्व लम्बा हो तो धन-उपार्जन में विशेष सफलता होगी। यदि दोनों शाखाओं के अन्त में तारे का चिह्न हो तो विशेष शुभ लक्षण और सफलता प्रकट होती है। किन्तु यदि बुध-क्षेत्र पर क्रॉस, बिन्दु या बाधा-रेखा का चिह्न हो तो घाटा लगेगा; यदि छोटी उंगली मुड़ी या टेढ़ी हो तो जातक चालाकी और बेईमानी का भी उपयोग करेगा ।
(७) यदि सूर्य-रेखा से कोई शाखा-रेखा निकलकर मंगल-क्षेत्र पर जाये तो जातक में उत्साह, प्रात्म-शक्ति और साहस विशेष होता है। मंगल-क्षेत्र पर शाखा-रेखा के अन्त में तारे प्रादि का शुभ चिह्न हो तो शुभ-परिणाम । यदि अशुभ चिह्न हो तो अशुभ परिणाम होता है।
(८) यदि चन्द्र-रेखा से कोई रेखा निकलकर सूर्य-रेखा में योग करे तो जातक में कल्पना-शक्ति विशेष होती है। यदि उंगलियाँ चिकनी हों और अग्रभाग नुकीले हों तो काव्य लिखने में विशेष यश मिलेगा । किन्तु यदि सूर्य-रेखा के अन्त में शुभ चिह्न हों तभी शुभ परिणाम समझना चाहिए। अशुभ-चिह्न हों तो अशुभ परिणाम ।
(९) यदि सूर्य-क्षेत्र से कोई रेखा निकलकर शुक्र-क्षेत्र पर जावे तो शुक्र-क्षेत्र-सम्बन्धी (ललित कला, गायन प्रादि) सफलता होती है। यदि सूर्य-रेखा के अन्त में प्रशुभ-चिह्न हों तो उलटे हानि ही होती है ।
(१०) यदि सूर्य-रेखा से कोई शाखा में विलीन हो जाये और शीर्ष-रेखा सुन्दर, सुस्पष्ट और बलवान हो तो जातक को अपनी दिमागी ताकत की वजह से सफलता और यश प्राप्त होंगे । (नितिन पामिस्ट)
(११) यदि सूर्य-रेखा से कोई शाखा निकलकर हृदय-रेखा में विलीन हो जाये तो जातक को शराफत और भलाई के कारण अनेक मित्रों और सम्बन्धियों की सहायता से सफलता मिलेगी ।
पढ़ें - सूर्य रेखा का महत्व और धन, यश की प्राप्ति
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(३) सूर्य-रेखा से निकलकर हल्की-हल्की या नन्ही छोटी रेखाएँ नीचे की ओर प्रावें तो सूर्य-रेखा को कमजोर करती हैं । ऐसे जातक को विशेष परिश्रम करने पर सफलता मिलती है।
(४) यदि सूर्य-रेखा से कोई शाखा निकलकर बृहस्पति के क्षेत्र पर जावे तो जातक में महत्वाकांक्षा और हुकूमत करने की भावना विशेष होती है और उसे इसमें सफलता भी मिलेगी । यदि इस शाखा-रेखा के अन्त में बृहस्पति-क्षेत्र पर तारे का चिह्न हो तो विशेष शुभ लक्षण है। यदि साथ ही सूर्य-रेखा के अन्त पर भूर्यक्षेत्र पर भी तारे का चिह्न हो तो अवश्य ऐसा जातक महान् राज्य का अधिकारी होगा । किन्तु इन शुभ लक्षणों के साथ-साथ हाथ मुलायम हो, शुक्र का क्षेत्र उच्च हो, उंगलियाँ पतली और नुकीली हों तो केवल गायन विद्या में श्रेष्ठता होगी। यदि चन्द्र-क्षेत्र भी उच्च हो तो संगीत में और भी विशिष्टता प्राप्त होगी।
किन्तु यदि उंगलियाँ प्रागे से फैली हुई हों या चतुष्कोण हों तो जातक बाजा बजाने या अन्य कलाओं में सफल होगा। यदि उंगलियों के तृतीय पर्व लम्बे और पुष्ट हों तो कलाप्रियता न होकर केवल रुपया कमाने पर ध्यान होगा ।
(५) यदि सूर्य-रेखा से कोई रेखा निकलकर शनि-क्षेत्र पर जाये तो जातक में बुद्धि-गाम्भीर्य और मितव्ययता प्रादि गुण होंगे। अगर अँगूठा सख्त हो तो जातक बहुत कंजूस भी होगा। यदि शाखा-रेखा के अन्त में, शनि-क्षेत्र पर तारे का चिह्न हो तो विशेष सफलता प्राप्त होती है किन्तु यदि तारे के चिह्न की बजाय वहाँ कोई छोटी प्राड़ी रेखा, बिन्दु, क्रॉस या अशुभ चिह्न हो तो सफलता की बजाय अशुभता और बदनामी ही प्राप्त होगी। यदि शनि-क्षेत्र पर शाखारेखा के पास एक या दो सहायक-रेखा के रूप में रेखाएँ हों तो सफलता का चिह्न है । किन्तु यदि शाखा-रेखा शनि-क्षेत्र के पहुँचने के पहले ही रुक जावे और शनि-क्षेत्र पर कई खड़ी रेखाएँ हों तो जातक अनेक कार्यों में सफलता प्राप्त करने की चेष्टा करता है इस कारण उसे किसी भी कार्य से विशिष्टता प्राप्त नहीं होती । यदि शाखा-रेखा के अन्त में शनि-क्षेत्र पर शुभ लक्षण हो और सूर्य रेखा के अन्त में सूर्य-क्षेत्र पर तारे का चिह्न हो तो विशेष सफलता का द्योतक है।
(६) यदि सूर्य-रेखा से निकलकर कोई शाखा-रेखा बुध के क्षेत्र पर जावे तो बुध-क्षेत्र-सम्बन्धी प्रभाव या सफलता विशेष होती है । यदि उंगलियों के, खासकर कनिष्ठा उंगली का प्रथम पर्व लम्बा हो तो जातक अच्छा लेखक या वक्ता होगा । यदि कनिष्ठा का द्वितीय पर्व लम्बा हो और बुध-क्षेत्र पर कई खड़ी रेखा हों तो जातक ख्याति-प्राप्त डाक्टर होगा । यदि तृतीय पर्व लम्बा हो तो धन-उपार्जन में विशेष सफलता होगी। यदि दोनों शाखाओं के अन्त में तारे का चिह्न हो तो विशेष शुभ लक्षण और सफलता प्रकट होती है। किन्तु यदि बुध-क्षेत्र पर क्रॉस, बिन्दु या बाधा-रेखा का चिह्न हो तो घाटा लगेगा; यदि छोटी उंगली मुड़ी या टेढ़ी हो तो जातक चालाकी और बेईमानी का भी उपयोग करेगा ।
(७) यदि सूर्य-रेखा से कोई शाखा-रेखा निकलकर मंगल-क्षेत्र पर जाये तो जातक में उत्साह, प्रात्म-शक्ति और साहस विशेष होता है। मंगल-क्षेत्र पर शाखा-रेखा के अन्त में तारे प्रादि का शुभ चिह्न हो तो शुभ-परिणाम । यदि अशुभ चिह्न हो तो अशुभ परिणाम होता है।
(८) यदि चन्द्र-रेखा से कोई रेखा निकलकर सूर्य-रेखा में योग करे तो जातक में कल्पना-शक्ति विशेष होती है। यदि उंगलियाँ चिकनी हों और अग्रभाग नुकीले हों तो काव्य लिखने में विशेष यश मिलेगा । किन्तु यदि सूर्य-रेखा के अन्त में शुभ चिह्न हों तभी शुभ परिणाम समझना चाहिए। अशुभ-चिह्न हों तो अशुभ परिणाम ।
(९) यदि सूर्य-क्षेत्र से कोई रेखा निकलकर शुक्र-क्षेत्र पर जावे तो शुक्र-क्षेत्र-सम्बन्धी (ललित कला, गायन प्रादि) सफलता होती है। यदि सूर्य-रेखा के अन्त में प्रशुभ-चिह्न हों तो उलटे हानि ही होती है ।
(१०) यदि सूर्य-रेखा से कोई शाखा में विलीन हो जाये और शीर्ष-रेखा सुन्दर, सुस्पष्ट और बलवान हो तो जातक को अपनी दिमागी ताकत की वजह से सफलता और यश प्राप्त होंगे । (नितिन पामिस्ट)
(११) यदि सूर्य-रेखा से कोई शाखा निकलकर हृदय-रेखा में विलीन हो जाये तो जातक को शराफत और भलाई के कारण अनेक मित्रों और सम्बन्धियों की सहायता से सफलता मिलेगी ।
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