चतुष्कोण ( स्क्वायर )
चार रेखाओं से मिलकर बनी आकृति को चतुष्कोण कहते हैं। स्वतन्त्र होने पर ही यह उत्तम माना जाता है। चतुष्कोण सदैव ही रक्षा करते हैं। अत: जिस रेखा या ग्रह पर इसकी स्थिति होती है, उससे सम्बन्धी दोष से रक्षा करता है।
चतुष्कोण में दोष होने पर संकटों से रक्षा करता है। परन्तु दोष न होने पर यह गुणों में वृद्धि व लाभ का लक्षण है। किसी भी रेखा में दोष होने पर वह दोष चतुष्कोण से ढका हुआ हो तो उसका फल केवल आभास मात्र ही होता है, अर्थात् समस्याएं तो आती हैं, परन्तु हानि नहीं होती।
निर्दोष रेखा में चतुष्कोण उस आयु में धन-सम्पति या प्रेम, जैसी भी दशा हो, वृद्धि कर देता है। बृहस्पति पर चतुष्कोण बीमारी, सम्मान, गले के रोग, अचानक आने वाले खतरे और जूहर आदि मसलों में रक्षा करता है। ( नितिन पामिस्ट )
ऐसे व्यक्ति को ससुराल से लाभ होता है। सूर्य पर यह प्रतिष्ठा बढ़ाने वाला व कलंक मिटाने और नेत्र ज्योति को निर्दोष रखने वाला होता है। बुध पर चतुष्कोण अपकीर्ति या किसी षडयन्त्र से रक्षा का संकेत है। यह वक्तृत्व या लेखन शक्ति में वृद्धि करता है। चन्द्रमा पर चतुष्कोण जल से रक्षा और धार्मिक रूचि का लक्षण है। चन्द्रमा पर अधिक रेखाएं होने पर व्यक्ति को बेहोशी, जलोदर, हिस्टीरिया, स्वप्नदोष आदि रोग पाये जाते हैं। परन्तु चन्द्रमा पर चतुष्कोण होने पर इन रोगों से रक्षा होती है। मृत्यु के कारण नहीं बनते। शुक्र पर चतुष्कोण होने पर वीर्य, जिगर, स्वास्थ्य-रक्षा व पारिवारिक सम्बन्धों में मधुरता का लक्षण है। ऐसे व्यक्ति स्वास्थ्य की परवाह करते हैं और अपने परिवार में सद्भावना से रहते हैं। इनकी स्मरणशक्ति उत्तम होती है।
भाग्य रेखा का चतुष्कोण व्यक्ति को धन लाभ कराता है या इस प्रकार की हानि से रक्षा करता है। जिस आयु में चतुष्कोण भाग्य रेखा के दोनों ओर हो तो सम्पत्ति जीवन में महत्व रखती है और चतुष्कोण के आकार की ही होती है। हृदय रेखा पर चतुष्कोण, मानसिक ठेस, हदय रोग आदि से रक्षा करता है। यही चतुष्कोण यदि शनि के नीचे हो तो ऐसे व्यक्ति को दांत के रोग होते हैं और बिजली या आग से रक्षा होती है। शनि क्षेत्र में चतुष्कोण धन में वृद्धि व संचय का लक्षण है। मंगल क्षेत्र में होने पर झगड़ों से रक्षा व निश्चितता का लक्षण है।
चार रेखाओं से मिलकर बनी आकृति को चतुष्कोण कहते हैं। स्वतन्त्र होने पर ही यह उत्तम माना जाता है। चतुष्कोण सदैव ही रक्षा करते हैं। अत: जिस रेखा या ग्रह पर इसकी स्थिति होती है, उससे सम्बन्धी दोष से रक्षा करता है।
चतुष्कोण में दोष होने पर संकटों से रक्षा करता है। परन्तु दोष न होने पर यह गुणों में वृद्धि व लाभ का लक्षण है। किसी भी रेखा में दोष होने पर वह दोष चतुष्कोण से ढका हुआ हो तो उसका फल केवल आभास मात्र ही होता है, अर्थात् समस्याएं तो आती हैं, परन्तु हानि नहीं होती।
निर्दोष रेखा में चतुष्कोण उस आयु में धन-सम्पति या प्रेम, जैसी भी दशा हो, वृद्धि कर देता है। बृहस्पति पर चतुष्कोण बीमारी, सम्मान, गले के रोग, अचानक आने वाले खतरे और जूहर आदि मसलों में रक्षा करता है। ( नितिन पामिस्ट )
ऐसे व्यक्ति को ससुराल से लाभ होता है। सूर्य पर यह प्रतिष्ठा बढ़ाने वाला व कलंक मिटाने और नेत्र ज्योति को निर्दोष रखने वाला होता है। बुध पर चतुष्कोण अपकीर्ति या किसी षडयन्त्र से रक्षा का संकेत है। यह वक्तृत्व या लेखन शक्ति में वृद्धि करता है। चन्द्रमा पर चतुष्कोण जल से रक्षा और धार्मिक रूचि का लक्षण है। चन्द्रमा पर अधिक रेखाएं होने पर व्यक्ति को बेहोशी, जलोदर, हिस्टीरिया, स्वप्नदोष आदि रोग पाये जाते हैं। परन्तु चन्द्रमा पर चतुष्कोण होने पर इन रोगों से रक्षा होती है। मृत्यु के कारण नहीं बनते। शुक्र पर चतुष्कोण होने पर वीर्य, जिगर, स्वास्थ्य-रक्षा व पारिवारिक सम्बन्धों में मधुरता का लक्षण है। ऐसे व्यक्ति स्वास्थ्य की परवाह करते हैं और अपने परिवार में सद्भावना से रहते हैं। इनकी स्मरणशक्ति उत्तम होती है।
जीवन रेखा में अन्दर की ओर चतुष्कोण मुकद्दमे बाजी का लक्षण है। जीवन रेखा मे जितने ही चतुष्कोण भीतर की ओर होते हैं व्यक्ति को उतने ही मुकदमे लड़ने पड़ते हैं। बाहर की ओर चतुष्कोण होने पर उस आयु में रोग, दुर्घटनाओं आदि में रक्षा होती है। जीवन रेखा के अन्त में चतुष्कोण हो तो अन्तिम आयु में स्वास्थ्य ठीक रहता है। मंगल रेखा में दोष होने पर यदि चतुष्कोण हो तो जीवन साथी के स्वास्थ्य या उसकी मृत्युभय से रक्षा का चिन्ह है। अंगूठे के मंगल पर यह चिन्ह होने पर पेट विकार व चिड़चिड़े स्वभाव से रक्षा करता है। ऐसे व्यक्ति मेल-जोल से रहते हैं और इन्हें सम्पति के झगड़ों में विजय प्राप्त होती है।
बुघ के नीचे वाले मंगल पर यह चिन्ह सरकार या किसी अन्य के द्वारा हड़प की गई सम्पति वापस मिल जाती है। ( नितिन पामिस्ट )
मस्तिष्क रेखा में दोष होने पर यदि चतुष्कोण से आच्छादित हो तो उस समय
परेशानी तो आती है, परन्तु रक्षा हो जाती है। इस प्रकार का संकट स्वास्थ्य, धन या अन्य किसी भी प्रकार का हो सकता है। दोष न होने पर यदि मस्तिष्क रेखा में चतुष्कोण हो तो उस समय नये कार्य से लाभ होता है या धन की बरबादी से रक्षा होती है। इस आयु में परिवार का कोई सदस्य अस्वस्थ रहता है, परन्तु विशेष दोष जैसे मृत्यु नहीं होती है। मस्तिष्क रेखा के अन्त में चतुष्कोण होने पर मस्तिष्क में अन्त तक विकार नहीं आता ।