उँगलियों का झुकाव, रंग तथा अन्तर - हस्तरेखा



तर्जनी :- साधारणतया अनेक हाथों के देखने से यही प्रतीत होता है कि वर्गाकार हाथों को (जिनमें उगलियाँ भी वर्गाकार होती है) छोड़कर शेष सभी प्रकार के हाथों में उगलियों का प्राकृतिक झुकाव गुण-कर्म और स्वभाव के अनुसार किसी न किसी उगली की ओर को अवश्य होता है। यह झुकाव किसी भी हाथ को अपने प्रभाव से वंचित नहीं रखता । किसी-किसी हाथ में तो इनका प्रभाव बड़ा ही असाधारण रूप धारण कर लेता है जोकि भाग्योदय में देर-सवेर कर बड़ा ही भारी परिवर्तन कर देता है। जिससे मनुष्य घबराहट तथा उल्लास की सीमा पर आचरण करते हुए व्याकुल हो जाता है। यदि किसी हाथ में तर्जनी उगली मध्यमा उगली की ओर को झुक हो तो वह मनुष्य केवल मन्मूबे बाँधने वाला, निरूत्साह, पराधीन, निश्चेष्ट तथा उदास रहने वाला होता है । उसका मन कार्य करने को करता है किन्तु बिगड़ जाने के भय से वह मध्य में ही हतोत्साह हो जाता है और कार्य को वही छोड़ देता है। यह सभी जानते हैं कि तर्जनी बृहस्पति की उगली है इसलिये वृहस्पति कार्यारम्भ में अत्यन्त उत्साह देता है किन्तु उसका झुकाव शनि की उगली की ओर होने के कारण उसके प्रभाव से वंचित नहीं रहता। ज्योतिष शास्त्रानुसार शनि का प्रभाव दीर्घसूत्री, उदासी प्रदान करने वाला तथा मलिन, बृहस्पति या गुरू से कम माना गया है। इसलिये शनि प्रत्येक कार्य के करने में देरी करता है । ऐसा मनुष्य जीवन में कोई विशेष उन्नति न करके उत्थान-पतन के बीच ही में चक्कर लगाता है । इसलिये तर्जनी का किसी भी रूप में मध्यमा उगली की ओर झुकना उचित नहीं है । बल्कि अपने ही स्वरूप में सीधा खड़ा रहना एक अत्यन्त शुभ लक्षण है।


मध्यमा :-मध्यमा उगली जिसे शनि की उगली भी कहते हैं हाथ के मध्य अर्थात् बीचो-बीच में होने के कारण ९० प्रतिशत व्यक्तियों के हाथों में आमतौर पर सीधी खड़ी रहती है। शनि ग्रह के पूर्ण प्रभाव से प्रभावित मनुष्य अपने भाग्य पर ही विश्वास कर निश्चेष्ट रहने लगता है अर्थात् जो भाग्य में होना होगा होता रहेगा, सोचकर किसी भी कार्य के करने में विशेष प्रयत्नशील नहीं रहता जिस कारण वह दूसरे व्यक्तियों की नजरों में आलसी या दीर्घसूत्री प्रतीत होता है। किन्तु विचार दृष्टि से यदि देखा जाय तो वास्तव में बात भी यही है कि कोई भी मनुष्य भाग्य से अधिक और समय से पहले कुछ भी नहीं पा सकता। प्रत्येक भली-बुरी बात के होने का समय भाग्य द्वारा पूर्व ही निश्चित कर दिया गया है, जिसके द्वारा संसार सृष्टि चक्र चल रहा है। किन्तु आधुनिक व्यक्ति रूस की उपमा देकर कुछ बोलने का साहस करेंगे। किन्तु वह सर्वथा निमूल ही रहेगा क्योंकि सर्व शक्तिमान परमेश्वर का विधान ही कुछ ऐसा है कि जिसने जैसे कर्म किये हैं वह उन्हीं के अनुसार देश, काल, जाति आदि में जन्म लेकर अपने अच्छे-बुरे समय का उपभोग करता है। शनि प्रधान मनुष्य उदास रहकर असम्भव प्रकार के मन्सूबे बाँधा करता है और जिनके पूर्ण न होने पर साधु आदि बनकर एकान्त में रहकर अपने दिन व्यतीत करने की सोचता है। यह अवगुण उसमें जन्म से ही होता है जो कि ठेस लगते ही जाग्रत हो जाता है। किन्तु जिन हाथों में शनि की उगली बृहस्पति की उगली की ओर झुकी होती है उनमें इस अवगुण का लोप होकर अनेक शुभ गुणों की वृद्धि हो जाती है। गुरू महाराज की कृपा से उसके अपने गुणों का दूसरी उगली में प्रवेश हो जाता है और ऐसा व्यक्ति अपने ४० प्रतिशत कार्यों में सफल हो जाता है। उसकी बढ़ती हुई अभिलाषायें ओर अग्रसर होता है। गुरू एक शुभ ग्रह है, जिसका साथ भी शनि को शुभ प्रभाव प्रदान करता है और यही मध्यमा उगली, यदि अनामिका (जिसका स्वामी सूर्य है) की ओर को झुक जाय तो मनुष्य के हाथ में और भी अशुभ गुणों का प्रवेश हो जाता है क्योंकि ज्योतिषाचायों ने सूर्य को शनि का और शनि को सूर्य का शत्रु माना है, ये दोनों ही क्रूर तथा पाप ग्रह भी हैं इसलिये ये दोनों ही एक-दूसरे को बुरा प्रभाव दिखाये बिना नहीं रहते । ऐसे मनुष्यों में बदले की भावना प्रबल तथा शत्रु के प्रति कुविचार सदव विद्यमान रहते है। ऐसा व्यक्ति अस्थिर चित्त तथा आशा-निराशा के समुद्र में गोते लगाने वाला होता है। जिस कारण किसी भी कार्य के शुभ परिणाम पर नहीं पहुँचता। ऐसे व्यक्ति की अपने पिता से नहीं बनती। और वह अपने गुरू जनों के सदा ही अहित की सोचता रहता है। उसके भाग्योदय में सदा ही रूकावट रहती है जिस कारण वह सदैव ही क्रोध वृति में रहता है। मध्यमा उगली का सूर्य उगली की ओर झुकना कभी भी हितकर नहीं होता इससे तो इसका अपने प्राकृतिक रूप में सीधा खड़ा रहना कहीं अच्छा होता है। बृहस्पति या तर्जनी की ओर झुका रहना एक अत्यन्त शुभ लक्षण है।

अनामिका:-जिसे तीसरी उ'गली या रवि और सूर्य उ'गली भी कहते हैं यदि यह उगली सुदृढ़-सुडौल तथा उतार-चढ़ाव के साथ सीधी भी हो तो अपने सम्पूर्ण गुणों से सुशोभित होती है। यदि साथ ही सूर्य रेखा भी शुभ फलदायक हो तो मनुष्य किसी न किसी विषय में अवश्य ही पारांगत होता है। ऐसी स्पष्ट स्थिति में अनामिका का सुफल देना अनिवार्य है और ऐसा मनुष्य अवश्य ही अपने कार्यों में सफलता प्राप्त करता है। और वह उत्साह तथा परिश्रम से उत्तरोतर अपनी उन्नति के लिये कार्य करने वाला होता है। यदि अभाग्यवश यह उगली शनि की उगली की ओर झुक जाय तो ऊपर कहे गये सभी गुण, अवगुणों में परिवर्तित हो जाते हैं। और शनि दोषों से मनुष्य प्रभावित होने लगता है। उसमें निराशा के अतिरिक्त चोरी, सुस्ती, उदासीनता, आलस्य तथा दूसरों का अहित करने की इच्छा प्रबल हो जाती है। वह किसी न किसी अपयशपूर्ण कार्य के द्वारा कुख्यात अवश्य हो जाता है। किसी अशुभ चिन्ह के प्रभाव से अत्याधिक प्रभावित हो जाने पर आत्मग्लानि से आत्महत्या तथा उत्तेजित होने पर बात की ठेस लगने पर वह दूसरों की हत्या तक कर बैठता है। इसके विपरीत यदि अनामिका उगली कनिष्टिका अर्थात् बुद्ध की उगली की ओर झुकी हो तो मनुष्य में अनेक शुभ गुणों का समावेश हो जाता है। ऐसा आदमी एक बड़ा व्पापारी, लेखक, कवि, कलाकार चित्रकार तथा अच्छा दस्तकार हो जाता है। उसे धार्मिक विषयों में आचार्य पदवी और पढ़ाई का कार्य करने में अच्छी सफलता मिलती है। ऐसे व्यक्ति स्कूल मास्टर होते हैं और दीक्षा का कार्य सुसम्पन्न करते हैं। अनामिका उगली का कनिष्टिका उगली की ओर को झुका रहना एक शुभ लक्षण हैजो कि व्यक्ति को धनाढ्य या मालदार बनाता है । नितिन कुमार पामिस्ट

कनिष्टिकाः-इसको चतुर्थ या चौथी उगली भी कहते हैं। इसका स्वामी बुध देवता है इसलिये इसको बुध की उगली भी कहते हैं। यदि यह उगली सीधी, सुडौल, चढ़ा-उतार की लम्बी हो तो मनुष्य में अनेक शुभ गुणों का समावेश स्वतः ही हो जाता है। ऐसा व्यक्ति बड़ा ही विनोदी, हास्य-रसकाभोक्ता, चंचल, अस्थिर प्रकृति, अचल वक्ता आदि गुणों से युक्त होने पर भी अपनी वाल्यचापल्यता को नहीं त्यागता। यदि कनिष्टिका उगली का झुकाव रवि या अनामिका उगली की ओर को हो तो उस मनुष्य के गुणों में और भी चार-चाँद लग जाते हैं और वह प्रत्येक कार्य में सफलता प्राप्त करने वाला होता है। ऐसा व्यक्ति पढ़ाईलिन्ताई के साथ-साथ व्यापारिक सफलताएँ भी समय-समय पर पाता रहता है। इसके विरुद्ध यदि यह उगली हथेली के बाहर की ओर झुकने वाली हो तो मनुष्य में अशुभ गुणों का समावेश हो जाता है । उसमें फिजूलखर्वी आदि अवगुण आ जाते है। सामुद्रिक शास्त्र में इस उगली का बाहर की ओर को झुकना अशुभ फलदायक कहा है और अन्दर की ओर झुकना घन सम्पन्न होने का लक्षण कहा गया है।

समस्त शुभ फलदायक देवताओं की उगलियों की ओर पर-अपर सभी उगलियों का झुकना उत्साह, सफलता तथा स्वतन्त्र विचारों का सार्थक करना बतलाता है। यह कार्यशील होने का प्रत्यक्ष लक्षण है। बुद्धिगत बातों को पूर्ण करने के लिये तत्पर रहना और सफलता के लिये उद्योग करना सिखाता है। सभी उगलियों का हथेली की ओर को झुका होना कोई शुभ लक्षण नहीं है। क्योंकि ऐसे व्यक्ति घनतृषित तो होते हैं किन्तु कुशाग्रबुद्धि तथा प्रत्युत्पन्नमति नही होते अर्थात् वे समयानुसार कार्य करने में असमर्थ होते हैं। उत्साह रहित तथा भीरू प्रकृति के होते हैं जिस कारण मिलनसार न होकर सदैव, एकान्त, शान्त स्थान पर व्यर्थ विचारों में तल्लीन रहते हैं। फिर भी अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिये सदैव तत्पर रहते हैं। अपनी बुराई करने वालों की अखेिं ताड़ लेते हैं। इसके विपरीत वे लोग जिनकी उगलियाँ, उगलियों के पृष्ट भाग की ओर झुकी होती है, बड़े ही तेज वृद्धि, बात को पकड़ने वाले होते हैं। उन्हें बात के समझने में देर नहीं लगती। ऐसे व्यक्ति अन्य शुभ गुणों से युक्त होने पर अच्छे-अच्छे पदों पर पहुँचने वाले होते हैं ऐसे मनुष्यों का स्वभाव कोमल, वाणी मधुर और प्रकृति सरल होती है और अशुभ गुणों या दोषों का बाहुल्य होने पर घन पिपासा को शान्त करने के लिये इधर-उधर भटकने वाला होता है । और अपनी चालाकी से दूसरे व्यक्तियों को ठगकर या बेवकूफ बनाकर खाने वाला होता है। नितिन कुमार पामिस्ट

उगलियों के रंग :-साधारणत: देखने में यही आता है कि हाथों की तरह उगलियों के रंग भी तीन ही प्रकार के होते हैं प्रथम उगलियों के रंग देखने में कमल के समान गुलाबी होते है। ऐसे रंग की उगलियों वाले मनुष्य बड़े ही भाग्यशाली, धनवान, जमीन जायदाद वाले होते हैं और बड़े ही घार्मिक, देवाराधक तथा भक्त कोटि के कर्मकांडी होते हैं । ऐसे व्यक्ति बड़े ही सीधे-सादे तथा समाजसेवी होते हैं फिर भी उनके साथी उन्हें कम पसन्द करते हैं। उनका स्वभाव सरल तथा कोमल होता है वे किसी का भी हृदय दुखाकर कार्य करना नहीं चाहते। उनके हाथ बड़े ही कोमल तथा मुलायम होते हैं जिससे ये कोई कठिन कार्य नहीं कर पाते । उनके स्वभाव में यह विचित्रता पाई जाती है कि वे साँसारिक आपत्तियाँ सहन कर सकते हैं किन्तु प्रार्थना या सन्ध्यावन्दन के समय किसी प्रकार की भी अशान्ति या शोरोगुल सहन नहीं कर सकते । अश्लील शब्द श्रवण से ही उनका पारा गर्म हो जाता है। नितिन कुमार पामिस्ट

हाथों में दूसरे प्रकार की उगलियाँ चित्रवत सुन्दर तथा गौर वर्ण की होती है। ऐसे मनुष्य अपनी ही सुन्दरता के प्रेमी तथा स्वाभिमानी होते हैं। उन्हें अपने ही रूप का घमंड मिलनसारी से वंचित कर शुष्क प्रकृति बना देता है। ऐसे मनुष्य समाज सेवा से बहुत दूर, बड़े ही आरामतलब होते हैं। जब कभी किसी व्यक्ति के सम्पक में आते हैं तो हसहंसकर बातें करते हैं और दूसरों को बेवकूफ समझते हैं। ऐसे मनुष्यों को प्रसन्न होते तथा नाराज होते कुछ अधिक देर नहीं लगती इसलिये वे किसी के भी विश्वसनीय या विश्वासपात्र नहीं हो पाते । ऐसे मनुष्यों से सदैव ही बचकर रहना चाहिये अन्यथा किसी समय भी बेइज्जती होने का डर रहता है।

तीसरे प्रकार की उगलियाँ वे होती हैं जोकि रक्त की अधिकता के कारण सदैव ही सुर्ख दिखाई देती हैं। ऐसे व्यक्तियों के हृदय कोमल तथा हाथ कठोर होते हैं। ये लोग सख्त मेहनत से घबराते नहीं और अपने परिश्रम से उन्नति करने वाले सभी बगों में पाये जाते हैं। ये लोग अत्याधिक धनवान न होकर औसत दर्ज के आदमी रहते हैं और अपने कार्यों को सुचारू रूप से चलाते हैं। ये लोग व्यसनी भी होते हैं किन्तु जिन हाथों में अधिक मुखों के कारण उगलियों का रंग नीला-सा दृष्टित होता है वे लोग जालिम होते हैं। नितिन कुमार पामिस्ट

जिन लोगों के हाथ मुलायम, उगलियाँ कोमल रक्तहीन-सी स्वेत दिखाई देती हैं। वे मनुष्य सदैव कामवासना से पीड़ित रहते हैं। और अपने साथियों में अश्लील शब्दों का बहुत प्रयोग करते हैं। ऐसे लोग अपनी लज्जा को निर्लज्ज बनाने में अपनी खूबी समझते हैं। इनके मित्रों की संख्या बहुत होती है जिनके सहारे ये लोग गन्दी हंसी मजाक करके अपने समय का दुरुपयोग करते हैं। ऐसे व्यक्तियों की मुखाकृति से ही उनके हृदय की शैतानी झलकती है।


उगलियों के बीच का अन्तर :-यदि हाथ की उगलियों को सीधा मिलाकर देखने से आर-पार उगलियों के मध्य, छिद्रों में से दिखाई दे तो समझना चाहिये कि ऐसा व्यक्ति कभी-कभी आय से भी अधिक खर्च करने वाला होता है और यदि उगलियाँ एक दूसरे से चिपककर बन्द हो जाएँ जिसमें दूसरी ओर का कुछ भी दिखाई न दे तो वह मनुष्य कृपण तथा धनवान होता है। तर्जनी और अँगूठे के बीच सभी हाथों में अन्तर पाया जाता है। यह फासला जितना अधिक होगा मनुष्य उतना ही स्वछन्द विचारों वाला होगा और यह फासला जितना न्यून या थोड़ा होगा वह मनुष्य उतना ही अधिक संकुचित विचारों वाला होगा। उसके प्रत्येक कार्य में संकोच पाया जायगा और यह फासला शनै:-शनै समकोण होने तक जैसे-जैसे बढ़ता जायगा। वैसे ही वैसे वह मनुष्य दयालु, स्वतन्त्र विचारों तथा आचरण वाला होता जायगा । इसलिये तर्जनी और अँगूठे के बीच का अन्तर न तो अत्यधिक और न न्यूनतम ही उचित होता है। बस्कि समकोण बनाने वाला अन्तर शुभ होता है। अत्यधिक और न्यूनतम, ये दोनों ही प्रकार के अन्तर सामाजिक तथा साँसारिक व्यक्तियों के लिये कुछ फलदायक सिद्ध नहीं होते।

तर्जनी और मध्यमा के बीच तीसरे पोरुए का छिद्र दयावान तथा दानी होने का लक्षण है। दूसरे और पहले पोरुओं का अलग-अलग होना या छिद्र दिखाई देना विचारों की पूर्ण स्वतन्त्रता का प्रतीक है।

मध्यमा और अनामिका के तीसरे पोरुए में अन्तर होना भक्त देवाराधक तथा धार्मिक प्रवृत्ति होने का लक्षण है । ऐसा व्यक्ति अपनी प्रशंसा आप स्वयं करने वाला होता है। प्रथम और द्वितीय पोरुओं का पृथक होना या छिद्र दिखाई देना मनुष्य के दृढ़ विचारों को स्थिर बनाता है। ऐसा व्यक्ति तेजस्वी तथा घमंडी होता है। किन्तु फिर भी सफल मानव जीवन व्यतीत करने के लिये इन दोनों उगलियों के बीच अन्तर रहना अति आवश्यक है। इससे उस व्यक्ति को धन और यश दोनों ही की प्राप्ति होती है। नितिन कुमार पामिस्ट

कनिष्टिका और अनामिका के तीसरे पारुए का अलग रहना किसी के यौवन तथा प्रौढ़ावस्था में भी बचपन का भाव भरता है। ऐसा व्यक्ति Iाम्यास्पद गल्प, कहानी, कविता आदि लिखने में अपने स्वतन्त्र विचारों की प्रकट करता है। प्रथम और द्वितीय पोरुए के बीच अन्तर होने से किसी भी कार्य में सफलता कम मिलती है और मिले रहने से सफलता खूब मिलती है।

यदि कोमल हाथों की उगलियों में अन्तर हो तो मनुष्य के विचारों को स्वतन्त्र और आचरण को स्वच्छन्द बना देता है और ऐसे व्यक्ति सामाजिक बन्धनों से दूर अपना निराला पंथ चलाकर चला करते हैं। वे किमी का व्यर्थ दबाव नहीं सहते और निन्दादि की परवाह न करके अपने कार्य को पूर्ण करके ही छोड़ते है। विपरीत इसके जिन हाथों में उगलियाँ एक दूसरे से सटीं तथा मिली हुई होती हैं वे लोग धर्मभीरू, समाजभीरू होते हैं और रुढ़ियों पर चलकर निन्दा, अपयश से अपनी रक्षा करते हैं। वे लोग दुनिया की कानाफूसी या जगती जनरव से घबराते है। जिस कारण कई लाभप्रद कार्य भी छोड़ देते हैं। उन्हें जग की भलाई तधा परोपकार का विशेष ध्यान रहता है। रामय-समय पर वे लोग गरीब तथा दीनों की मदद करते देखे जाते है।

नितिन कुमार पामिस्ट

ONLINE PALM READING SERVICE



online palmistry service




hast rekha scanner app in hindi,  palm reading online free scanner in hindi,  online hastrekha check in hindi,  online hast rekha scanner free,  palm reading in hindi online,  palm reading in hindi pdf,  palm reading in hindi for female,  palm reading in hindi free online,  free online palm reading service,  free online palm reading consulation,


SEND ME YOUR BOTH HAND IMAGES TO GET DETAILED PALM READING REPORT

Question: What is your fees?
Answer: If you are from India then you need to pay 600 rupees (you will get report in 10 days) but if you want to get report in one day/24 hours then you need to pay 1100 rupees.

If you are from USA, or from outside of India then you need to pay 20 dollars (you will get report in 10 days) but if you want to get report in one day/24 hours then you need to pay 35 dollars.

Question: I want to get palm reading done by you so let me know how to contact you?
Answer: Contact me at Email ID: nitinkumar_palmist@yahoo.in.


Question: I want to know what includes in Palm reading report?

Answer: You will get detailed palm reading report covering all aspects of life. Past, current and future predictions. Your palm lines and signs, nature, health, career, period, financial, marriage, children, travel, education, suitable gemstone, remedies and answer of your specific questions. It is up to 4-5 pages.



Question: When I will receive my palm reading report?

Answer: You will get your full detailed palm reading report in 9-10 days to your email ID after receiving the fees for palm reading report.



Question: How you will send me my palm reading report?

Answer: You will receive your palm reading report by e-mail in your e-mail inbox.



Question: Can you also suggest remedies?

Answer: Yes, remedies and solution of problems are also included in this reading.


Question: Can you also suggest gemstone?

Answer: Yes, gemstone recommendation is also included in this reading.


Question: How to capture palm images?

Answer: Capture your palm images by your mobile camera 
(Take image from iphone or from any android phone) or you can also use scanner. 



Question: Give me sample of palm images so I get an idea how to capture palm images?

Answer: You need to capture full images of both palms (Right and left hand), close-up of both hands and side views of both palms. See images below.



palm reading sample

palm reading sample


Question: What other information I need to send with palm images?

Answer: You need to mention the below things with your palm images:-
  • Your Gender: Male/Female 
  • Your Age: 
  • Your Location: 
  • Your Questions: 
  • Also you can tell me that in which field you want to make your career. So that I can check for particular field is good or not for you.

Question: How much the detailed palm reading costs?

Answer: Cost of palm reading:


Option 1 - Palm reading report delivery time 10 days
(You will get your palm reading report in 10 days)
  • India: Rs. 600/- 
  • Outside Of India: 20 USD

Option 2 - Palm reading report delivery time 1 day (24 hours)
(You will get your palm reading report in one day)
  • India: Rs. 1100/- 
  • Outside Of India: 35 USD

Question: How you will confirm that I have made payment?

Answer: You need to provide me some proof of the payment made like:


  • UTR/Reference number of transaction. 
  • Screenshot of payment. 
  • Receipt/slip photo of payment.

Question: I am living outside of India so what are the options for me to pay you?

Answer: Payment options for International Clients:

International clients (those who are living outside of India) need to pay me via PayPal or Western Union Money Transfer.

  • PayPal (PayPal ID : nitinkumar_palmist@yahoo.in)
    ( Please select "goods or services" instead of "personal" )

  • Palmistry Service (option 1)


    Palmistry Service (option 2)

  • Western Union: Contact me for details.


Question: I am living in India so what are the options for me to pay you?

Answer: Payment options for Indian Clients:

  • Indian client needs to pay me in my SBI Bank via netbanking or direct cash deposit or Paytm.

  • SBI Bank: (State Bank of India)

       Nitin Kumar Singhal
       A/c No.: 61246625123
       IFSC CODE: SBIN0031199
       Branch: Industrial Estate
       City: Jodhpur, Rajasthan. 


Scan QR Code: Click On QR Code Image and Download It



  • UPI: 

UPI ID: nitinkumarsinghal@sbi


Email ID: nitinkumar_palmist@yahoo.in




Useful Links